प्यारे दोस्तों!......
कई बार जिन्दगी में हम कुछ ऐसा भी कर जाते है, जिससे हमें खुद पर नाज होने लगता है. जिन्दगी का वह लम्हा हमारे लिए यादगार बन जाता है.......ऐसा ही एक यादगार लम्हा मेरी जिन्दगी का आपके साथ बाँट रहा हूँ.......
बात सन २००६ की है, जब मै ब्लूमिंग चिल्ड्रेन में पढता था. मै और मेरे सारे दोस्त, जिसमे से काफी लोग फसबूक पर है भी, सभी १२वी के बोर्ड एक्साम की तैयारी में लगे थे.. हमारी छु
ट्टी शाम को लगभग ३.३० बजे होती थी....हमारे स्कूल के तकरीबन ५० मीटर आगे महिलामहाविद्यालय था और उसके भी छुट्टी का समय लगभग वही था. यानि की उस आधे घंटे के दौरान पूरे हाइवे पर अच्छा-खासा भीड़ हो जाता था. सारे स्टुडेंट्स मस्ती- मजाक करते अपने- अपने घर चले जाते थे.
हर रोज की तरह उस दिन भी छुट्टी हुई और हम मस्तियाँ करते हुए घर की तरफ चल पड़े. मेरे कुछ दोस्तों का झुण्ड हमेशा एक साथ ही चलता था. उस दिन जब हम महिलामहाविद्यालय से थोडा आगे बढे तो हमने देखा की महिला की एक लड़की अपनी साईकिल खड़ी किये चुपचाप लज्जावश खड़ी थी और हर सामने से गुजरने वाले स्टुडेंट्स की तरफ मदद की नजर से देख रही थी. दरअसल उस लड़की का दुपट्टा साईकिल की चैन में बुरी तरह फंस गया था. सारे स्टुडेंट्स उसकी खिंचाई करते हुए आगे बढ़ रहे थे.....थोड़ी ही देर में हम भी उसके सामने से गुजरे. मेरे बगल में मेरा दोस्त 'इरशाद' साथ में जा रहे थे. इरशाद ने 'में आई हेल्प यू, मेम?' कहते हुए उस पर कमेन्ट भी किया और हम आगे बढ़ गए.....थोडा आगे जाने पर मैंने पलटकर देखा की वो लड़की इरशाद के मजाक को सच समझ कर नम आँखों से हमारी तरफ देख रही थी. मैंने इरशाद को रोका और उसे भी अपनी गलती का एहसास हुआ. हमारे रूककर अपनी तरफ आते देख उसकी आँखों में उम्मीद की किरण चमकने लगी.
हम उसके पास पहुचे और उसका दुपट्टा निकलने लगे. बगल से गुजरने वाले स्टुडेंट्स हम पर भी कमेंट्स करने लगे. हम अनसुना कर अपने काम में लगे रहे. १० मिनट बीत गए हमारी कोशिश बेकार हो रही थी. अब रोड भी लगभग खाली हो चुकी थी. धीरे-धीरे स्कूल के टीचर्स भी बगल से गुजरने लगे. वो हमारी तरफ देखते हुए आपस में कुछ बाते करते हुए आगे बढ़ गए.......लेकिन हमें अभी सफलता नहीं मिली.
हर रोज की तरह उस दिन भी छुट्टी हुई और हम मस्तियाँ करते हुए घर की तरफ चल पड़े. मेरे कुछ दोस्तों का झुण्ड हमेशा एक साथ ही चलता था. उस दिन जब हम महिलामहाविद्यालय से थोडा आगे बढे तो हमने देखा की महिला की एक लड़की अपनी साईकिल खड़ी किये चुपचाप लज्जावश खड़ी थी और हर सामने से गुजरने वाले स्टुडेंट्स की तरफ मदद की नजर से देख रही थी. दरअसल उस लड़की का दुपट्टा साईकिल की चैन में बुरी तरह फंस गया था. सारे स्टुडेंट्स उसकी खिंचाई करते हुए आगे बढ़ रहे थे.....थोड़ी ही देर में हम भी उसके सामने से गुजरे. मेरे बगल में मेरा दोस्त 'इरशाद' साथ में जा रहे थे. इरशाद ने 'में आई हेल्प यू, मेम?' कहते हुए उस पर कमेन्ट भी किया और हम आगे बढ़ गए.....थोडा आगे जाने पर मैंने पलटकर देखा की वो लड़की इरशाद के मजाक को सच समझ कर नम आँखों से हमारी तरफ देख रही थी. मैंने इरशाद को रोका और उसे भी अपनी गलती का एहसास हुआ. हमारे रूककर अपनी तरफ आते देख उसकी आँखों में उम्मीद की किरण चमकने लगी.
हम उसके पास पहुचे और उसका दुपट्टा निकलने लगे. बगल से गुजरने वाले स्टुडेंट्स हम पर भी कमेंट्स करने लगे. हम अनसुना कर अपने काम में लगे रहे. १० मिनट बीत गए हमारी कोशिश बेकार हो रही थी. अब रोड भी लगभग खाली हो चुकी थी. धीरे-धीरे स्कूल के टीचर्स भी बगल से गुजरने लगे. वो हमारी तरफ देखते हुए आपस में कुछ बाते करते हुए आगे बढ़ गए.......लेकिन हमें अभी सफलता नहीं मिली.
फिर मैंने इरशाद से आस- पास के किसी घर से कोई औजार लाने को कहा. मै वहां रुक गया और इरशाद औजार लाने चला गया. अब धीरे- धीरे अँधेरा भी बढ़ने लगा. हम तीनो ही घबरा रहे थे. .....थोड़ी ही देर में इरशाद पास के एक घर से एक रिंच लेकर आया. इरशाद ताकत का धनी था. उसने थोड़ी ही देर में पहिया खोलकर दुपट्टा बाहर निकाल लिया. और वापस फिट कर दिया.......लेकिन अँधेरा बढ़ने लगा था. लड़की घबराने लगी थी. मैंने और इरशाद ने उसे उसके गाँव तक छोड़कर आने का फैसला किया. और आधे घंटे बाद हम ने उसे उसके गाँव तक छोड़ दिया. अँधेरा ढल चूका था..........लेकिन हम दोनों दोस्तों के चेहरे पर पूर्ण संतोष का भाव था.......जैसे कोई जंग जीतकर लौटे हो............घर पहुंचकर अच्छी- खासी डांट भी पड़ी....लेकिन हम खुश थे..............
दोस्तों, समय बीता हम १२वी पास करके अपने -अपने कैरियर के संघर्ष में जुट गए.......इरशाद अचानक जाने कहा चला गया. उसके घर वालो को भी उसका ठीक से कोई पता नहीं था.......आज ५-६ साल बाद मेरी उससे फोन पर बात हुई तो पता चला की उसे दिमागी बीमारी है......और इसी लिए वो कई सालो से छुपता फिर रहा है.
दोस्तों, अपने जिन्दगी का एक कीमती पल निकाल कर हो सके तो इरशाद के लिए जरूर दुआ कीजियेगा!.........
दोस्तों, समय बीता हम १२वी पास करके अपने -अपने कैरियर के संघर्ष में जुट गए.......इरशाद अचानक जाने कहा चला गया. उसके घर वालो को भी उसका ठीक से कोई पता नहीं था.......आज ५-६ साल बाद मेरी उससे फोन पर बात हुई तो पता चला की उसे दिमागी बीमारी है......और इसी लिए वो कई सालो से छुपता फिर रहा है.
दोस्तों, अपने जिन्दगी का एक कीमती पल निकाल कर हो सके तो इरशाद के लिए जरूर दुआ कीजियेगा!.........
आपका दोस्त- विनोद मौर्य
बहुत अच्छा लिखा है लिखते रहें !
ReplyDeleteक्या लिखा है यार ,चंद जुमलों की कहानी दिल को छू गई.मेरी तरफ से आपको शुभकामनायें.आप काफी अच्छा लिखते हैं ,अपना लेखन जारी रखें.एक दिन आपको पढने जमाना आएगा.
ReplyDeleteमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
आपका बहुत- बहुत धन्यवाद!........आपने मेरा हौंसला और बढ़ दिया है.....मै आपके उम्मीदों पर जरूर खरा उतरूंगा!
ReplyDeleteधन्यवाद चर्चा मंच पर कीजिए!
ReplyDeleteवहाँ से आपकी बात बहुत लोगों तक जायेगी!
मेरी साडी भी एक बार इसी तरह हीरो पुक में उलझ गयी थी . भले लोगों की मदद से इस स्थिति से उबर पाई .
ReplyDeleteएक अच्छे कार्य की बधाई !
जी!........आपका बहुत- बहुत धन्यवाद्!.......
ReplyDeleteमैंने आपका ब्लॉग ज्वाइन कर लिया है.और मै आपको अपने दोनों ब्लोग्स पर आने की दावत देता हूँ.मोहब्बत नामा जो की मोहब्बतों से लबरेज है.और मास्टर्स टेक टिप्स जो की तकनिकी ब्लॉग है.जहाँ आपको अपने ब्लॉग को बेहतर बनाने के बेशुमार टिप्स मिल जायेंगे.और बहुत सारा तकनिकी ज्ञान.आप समय निकालकर इन दोनों जगहों की सैर करें.आपको बहुत सारे मोती यहाँ पर मिलेंगे.जो आपके संघर्स में आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे.शुक्रिया.
ReplyDeleteलिंक भी नाम के साथ ही हैं.,निचे.आप इन्ही पर क्लिक करके वहां पहुँच सकते हैं.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
जी!!!!!!!!!!!......आपका बहुत- बहुत शुक्रिया!..........मै आपका अनुसरण अवश्य करूँगा!!!!!!!!!!!!
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